उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ नेशनल हाईवे पर बीती शाम एक भयंकर भूस्खलन हुआ, जिसने एक परिवार और तीर्थयात्रियों के लिए मातम लेकर आया। इस हादसे में 38 वर्षीय वाहन चालक राजेश सिंह रावत की दुखद मौत हो गई, जबकि वाहन में सवार पांच तीर्थयात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। ये सभी तीर्थयात्री छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से केदारनाथ दर्शन के लिए यात्रा कर रहे थे। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन बलों ने हादसे की सूचना मिलते ही राहत और बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन लगातार बारिश और मलबे के गिरने से बचाव कार्य में गंभीर अड़चनें आईं।
यह दुर्घटना गुप्तकाशी के निकट कुंड क्षेत्र में हुई जब एक मैक्स वाहन, जिसमें छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से आए तीर्थयात्री थे, भारी पत्थरों और मलबे की चपेट में आ गया। वाहन चालक राजेश सिंह रावत, जो टिहरी गढ़वाल के लंबगांव के निवासी थे, वहीं अपनी जान गंवा बैठे। घायलों की उम्र 19 से 25 वर्ष के बीच है और सभी की हालत गंभीर बताई जा रही है।
हादसे की खबर मिलते ही स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF), नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) और स्थानीय प्रशासन की टीमें तत्काल मौके पर पहुंचीं। बचाव दलों ने मलबे के नीचे दबे घायल तीर्थयात्रियों को निकाल कर पास के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां दो की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राहत कार्य को बाधित करने वाली बारिश के कारण रात भर बचाव अभियान थमा रहा, लेकिन जैसे ही मौसम में सुधार हुआ, बचाव कार्य फिर से शुरू कर दिया गया।
इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने उत्तराखंड के कई जिलों में 31 मई और 1 जून 2025 के लिए भारी बारिश, तेज हवाओं और ओलावृष्टि का अलर्ट जारी किया है। इस चेतावनी के मद्देनजर प्रशासन ने स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों को खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में सतर्क रहने की सलाह दी है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
केदारनाथ नेशनल हाईवे भौगोलिक रूप से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, जहां मानसून के दौरान भूस्खलन की घटनाएं आम हैं। इस दुर्घटना ने फिर से प्रशासन के समक्ष सुरक्षा इंतजामों को सख्ती से लागू करने की चुनौती रखी है। सरकार और प्रशासन ने सभी जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है ताकि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस घटना ने केदारनाथ यात्रा की कठिनाइयों को भी उजागर किया है, जहां प्राकृतिक आपदाएं यात्रियों के लिए खतरा बनी रहती हैं। राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार को भी मिलकर इन जोखिमों को कम करने के लिए प्रभावी रणनीतियां बनानी होंगी।