Chhattisgarh Naxal Operation: छत्तीसगढ़ बीजापुर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी, तीसरे दिन दो नक्सली ढेर, सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के नेशनल पार्क क्षेत्र में दो दिन से जारी सुरक्षा बलों के संयुक्त अभियान में शुक्रवार देर रात तक बड़ी सफलता मिली। तेलंगाना स्टेट कमेटी के सदस्य व मंचेरियल कोमाराम भीम (एमकेबी) सचिव भास्कर उर्फ माइलारापु अडेल्लु (45) को मार गिराया गया। उस पर छत्तीसगढ़ में 25 लाख और तेलंगाना में 20 लाख रुपये का इनाम था। वह तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के उरुमादला का रहने वाला था। मुठभेड़ स्थल से जवानों ने एके-47 असाल्ट राइफल व विस्फोटक बरामद किए।
इस ऑपरेशन में अब तक चार नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें दो टॉप कमांडर भास्कर और सुधाकर शामिल हैं। सुधाकर केंद्रीय समिति का सदस्य था और उस पर 40 लाख रुपये का इनाम था। सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में DRG, STF और कोबरा बटालियन की टीमें शामिल हैं।
यह इलाका कभी नक्सलियों का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन अब सुरक्षा बलों ने ड्रोन, सेटेलाइट और पैदल गश्त के जरिए पूरी तरह इलाके को घेर लिया है। इंद्रावती नेशनल पार्क के कोर जोन और बफर जोन दोनों को सुरक्षा बलों ने अच्छी तरह से कवर कर रखा है।
जंगल में अभी भी 25 से 30 हार्डकोर नक्सली फंसे हुए हैं, लेकिन फोर्स उन्हें लगातार ट्रैक कर रही है। अगले 2-3 दिनों में और मुठभेड़ होने की संभावना है।
पिछले महीने 21 तारीख को अबूझमाड़ में नक्सलियों के चीफ बसव राजू के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन में भगदड़ मची हुई है, जिससे सुरक्षा बलों को फायदा मिल रहा है।
इस ऑपरेशन की बड़ी खासियत यह है कि सुरक्षा बलों ने बेहद रणनीतिक तरीके से माओवादियों को घेरा और दो बड़े टॉप कमांडर भास्कर और सुधाकर को मार गिराया। इसके साथ ही कई आधुनिक हथियार और दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनकी जांच जारी है।
मुख्य बिंदु:
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दो दिन के ऑपरेशन में 4 नक्सली मारे गए, जिनमें दो टॉप कमांडर भी शामिल।
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भास्कर और सुधाकर जैसे प्रमुख माओवादी ढेर किए गए।
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DRG, STF और कोबरा बटालियन ने मिलकर अभियान चलाया।
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जंगलों में ड्रोन, सेटेलाइट और पैदल गश्त से पूरा क्षेत्र कवर।
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अभी भी 25-30 नक्सली जंगलों में फंसे हुए, और मुठभेड़ जारी रह सकती है।
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बसव राजू के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन में भगदड़।
यह ऑपरेशन नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी है और छत्तीसगढ़ में माओवादी प्रभाव को कमजोर करने में मददगार साबित हो रहा है।