दिल्ली-NCR में बढ़ता प्रदूषण संकट: वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में पहुंची, GRAP-1 तत्काल प्रभाव से लागू
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एक बार फिर प्रदूषण की गिरफ्त में आ गया है। बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने शनिवार, 7 जून 2025 को ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-1 को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। यह निर्णय CAQM की GRAP उप-समिति की आपात बैठक में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) और मौसम के पूर्वानुमान की समीक्षा के बाद लिया गया।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 7 जून को दिल्ली का AQI 209 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी (201–300) में आता है। मौसम विभाग (IMD) और IITM के अनुमानों के अनुसार आने वाले दिनों में भी वायु गुणवत्ता मुख्य रूप से ‘खराब’ ही बनी रहेगी, जिससे जनस्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
GRAP-1 के तहत कई तत्काल प्रतिबंधात्मक उपाय लागू किए गए हैं ताकि स्थिति और अधिक खराब न हो। इनमें निर्माण और तोड़-फोड़ की गतिविधियों पर आंशिक रोक, ट्रैफिक का बेहतर प्रबंधन, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की निगरानी और संचालन पर अंकुश शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, CAQM ने नागरिकों से कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देशों का पालन करने की अपील की है ताकि प्रदूषण नियंत्रण में सामूहिक सहयोग सुनिश्चित हो सके:
- वाहनों का नियमित रखरखाव करें और PUC प्रमाणपत्र अद्यतन रखें।
- टायर का दबाव मानक के अनुरूप रखें और ट्रैफिक सिग्नलों पर वाहन का इंजन बंद रखें।
- डीजल/पेट्रोल से चलने वाले 10/15 साल पुराने वाहनों का उपयोग बंद करें।
- कचरा, प्लास्टिक या सूखे पत्तों को खुले में न जलाएं।
- हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दें।
- पर्यावरण-अनुकूल तरीके से त्योहार मनाएं, विशेषकर पटाखों से बचें।
- पेड़ लगाने की पहल करें और प्रदूषण की शिकायतें 311, Green Delhi या SAMEER ऐप के माध्यम से दर्ज करें।
दिल्ली में वायु प्रदूषण कोई नई चुनौती नहीं है, लेकिन यह चिंताजनक है कि पिछले एक महीने में यह दूसरी बार है जब GRAP-1 लागू करना पड़ा है। कुछ ही दिन पहले राजधानी में धूल भरी तेज आंधी चली थी, जिसने प्रदूषण स्तर को खतरनाक स्थिति तक पहुंचा दिया था। इसके बाद से प्रदूषण स्तर में गिरावट दर्ज की गई, लेकिन फिर से स्थिति बिगड़ने लगी है।
प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है, गश्त तेज कर दी गई है, और निर्माण स्थलों की जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक आम नागरिकों का सक्रिय सहयोग नहीं मिलेगा, तब तक दिल्ली की हवा साफ नहीं हो सकेगी।