Delhi: उत्तर पूर्वी दिल्ली सांसद मनोज तिवारी का बड़ा बयान, कहा- आपातकाल संविधान की हत्या का प्रतीक
उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने 25 जून 1975 को लागू किए गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र पर काले धब्बे के रूप में याद करते हुए इसे “संविधान की हत्या” बताया। उन्होंने आज यमुना विहार में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि आपातकाल लोकतांत्रिक मूल्यों की निर्मम हत्या थी, जिसे देश कभी नहीं भूल सकता। कार्यक्रम में उत्तर पूर्वी जिला अध्यक्ष डॉ. यू. के. चौधरी, नवीन शाहदरा जिला अध्यक्ष मास्टर विनोद कुमार, निवर्तमान जिलाध्यक्ष पूनम चौहान, आनंद त्रिवेदी, मीडिया प्रभारी दीपक चौहान सहित विभिन्न संस्थानों से आए युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए।
मनोज तिवारी ने अपने संबोधन में कहा, “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था। यह भारत के इतिहास में सबसे काले अध्यायों में से एक है। यह सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि संविधान और नागरिक अधिकारों की खुली हत्या थी।”
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे इतिहास को जानें और समझें कि किस तरह कांग्रेस ने सत्ता बचाने के लिए पूरे देश को जेल में तब्दील कर दिया था। तिवारी ने कहा, “आज की युवा पीढ़ी को जानना चाहिए कि उस वक्त लाखों लोगों को जेल में ठूंस दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई और संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं”। सांसद ने यह भी कहा कि “इंदिरा गांधी की सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति ने भारत की लोकतांत्रिक नींव को झकझोर कर रख दिया था। कांग्रेस ने संविधान की आत्मा के साथ विश्वासघात किया था। यह दिन हमें सतर्क करता है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर नागरिक को जागरूक रहना चाहिए।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य केवल सत्ता में रहना नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा, “हम कांग्रेस के कुकृत्यों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाएंगे, ताकि जनता सच्चाई को समझ सके। हम यह नहीं भूल सकते कि कैसे केवल एक नेता की कुर्सी बचाने के लिए पूरा देश कुर्बान कर दिया गया।”