Al Qaeda India Module: गुजरात एटीएस की बड़ी कामयाबी, अल-कायदा से जुड़े चार संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार, दिल्ली-नोएडा समेत चार शहरों से हुई कार्रवाई
गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल करते हुए अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़े चार संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। ये गिरफ्तारियां देश के अलग-अलग हिस्सों से की गईं, जिनमें दिल्ली, नोएडा और गुजरात के दो शहर शामिल हैं। पकड़े गए सभी आरोपी अल-कायदा की कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित थे और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को उकसाने और संगठन से जोड़ने का प्रयास कर रहे थे।
गिरफ्तार किए गए चारों संदिग्धों की पहचान इस प्रकार हुई है:
मोहम्मद फैक, निवासी मीर मदारी गली, फरासखाना, दिल्ली
मोहम्मद फरदीन, निवासी गुलमोहर टेनमेंट, फतेहवाड़ी, अहमदाबाद
सैफुल्ला कुरैशी, निवासी खटकीवाड़ा, भोई वाडा के पास, मोडासा, गुजरात
जीशान अली, निवासी मकान नंबर 77, छजरसी कॉलोनी, सेक्टर 63, नोएडा
एटीएस अधिकारियों के अनुसार, ये सभी आरोपी अल-कायदा के लिए भारत में डिजिटल प्रचार तंत्र तैयार कर रहे थे। इनकी कोशिश थी कि सोशल मीडिया, संदिग्ध ऐप्स और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए अधिक से अधिक युवाओं को कट्टरपंथी बनाया जाए। वे ऐसे ऐप्स का इस्तेमाल करते थे जिनमें चैट्स ऑटो-डिलीट हो जाते थे, जिससे उनके नेटवर्क को ट्रेस करना बेहद मुश्किल हो जाता था।
गुजरात एटीएस के सूत्रों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में इन संदिग्धों के पास से ऐसे डिजिटल उपकरण और डेटा मिले हैं जो सीधे अल-कायदा के नेटवर्क से जुड़ने की पुष्टि करते हैं। बरामद मोबाइल, लैपटॉप और चैट रिकॉर्ड्स की गहनता से साइबर टीम द्वारा जांच की जा रही है।
एटीएस को संदेह है कि इन चारों के अलावा इस नेटवर्क में कई अन्य लोग भी सक्रिय हो सकते हैं, जो भारत के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं को भ्रमित करने, कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार करने की साजिश में लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी जांच में शामिल हो सकती है। अगर एनआईए को ठोस सुराग मिलते हैं, तो यह जांच एक बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ की ओर बढ़ सकती है।
एटीएस अधिकारियों ने यह भी बताया कि संदिग्धों के ऑनलाइन नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से साइबर निगरानी बढ़ा दी गई है। डिजिटल सबूतों की फोरेंसिक जांच के साथ-साथ उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स, संपर्क सूत्रों और विदेश से लिंक की भी पड़ताल की जा रही है।