Sunday, August 3, 2025
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BMS 70th Anniversary: भारतीय मज़दूर संघ ने भव्यता से मनाया 70 वर्षों की संघर्ष यात्रा का समापन समारोह

BMS 70th Anniversary: भारतीय मज़दूर संघ ने भव्यता से मनाया 70 वर्षों की संघर्ष यात्रा का समापन समारोह

23 जुलाई 2025 को भारतीय मज़दूर संघ (BMS) ने अपने 70 वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा का समापन समारोह नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम स्थित के.डी. जाधव कुश्ती हॉल में अभूतपूर्व गरिमा और ऊर्जा के साथ आयोजित किया। यह समारोह केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि श्रमिकों के संघर्ष, संगठन के विस्तार, विचारधारा की मजबूती और भविष्य की दिशा को रेखांकित करने वाला राष्ट्रीय कार्यक्रम बन गया।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की, जबकि केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडविया विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरणमय पांडेय ने की। दिल्ली प्रांत बीएमएस की अध्यक्ष इन्दु जम्वाल ने स्वागत भाषण में कहा कि दिल्ली में 1970 में हुए पहले अधिवेशन के बाद आज का यह ऐतिहासिक आयोजन सभी कार्यकर्ताओं के लिए गौरव का क्षण है।

बीएमएस के अखिल भारतीय महामंत्री रविन्द्र हिम्मते ने मंच से वर्षभर चले कार्यक्रमों की जानकारी साझा की और बताया कि कैसे संगठन ने सात दशकों में अपने त्रिसूत्रीय मूलमंत्र — राष्ट्रीय हित, औद्योगिक हित और श्रमिक हित — को कायम रखते हुए संगठनात्मक और वैचारिक दृष्टि से खुद को मज़बूत किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समापन एक अंत नहीं बल्कि नए चरण की शुरुआत है। उन्होंने भोपाल से प्रारंभ हुई बीएमएस की यात्रा को याद करते हुए उन समर्पित कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने संगठन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। संगठन की पारदर्शिता, सामूहिक निर्णय प्रणाली और राजनीतिक निष्पक्षता को उन्होंने बीएमएस की दीर्घकालीन सफलता का आधार बताया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरणमय पांडेय ने संगठन की प्रगति और भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि बीएमएस 1989 के पूर्व दूसरे स्थान पर था, लेकिन तब से अब तक यह देश का सबसे बड़ा मज़दूर संगठन बना हुआ है। उन्होंने बताया कि आज बीएमएस देश के 28 राज्यों, 44 महासंघों और 6630 संगठनों के माध्यम से सक्रिय है। संगठन न केवल देश में, बल्कि नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में भी अपनी विचारधारा का विस्तार कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीएमएस अपने 100वें वर्ष में वैश्विक मंच पर भारत के श्रमिक दर्शन को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री वीर भगाये ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह महज़ कोई कार्यक्रम नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है। इसकी भव्यता और भागीदारी यह दर्शाती है कि बीएमएस अब समाज का कार्यक्रम बन चुका है।

कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडविया ने बीएमएस की कार्यशैली की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संगठन देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का भी एक महत्वपूर्ण श्रमिक संगठन बन चुका है। उन्होंने कहा कि बीएमएस की कार्यशैली प्रेरक और अनुकरणीय है।

समारोह में जब डॉ. मोहन भागवत मंच पर आए, तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि यह केवल उत्सव का समय नहीं है, बल्कि आत्म-अवलोकन का अवसर भी है। यह विचार करना आवश्यक है कि हमने अब तक क्या किया और आगे हमें क्या करना है। उन्होंने बीएमएस को दुनिया को एक नया श्रमिक मॉडल देने की जिम्मेदारी सौंपी और कहा कि यह संगठन अब तीसरी व चौथी पीढ़ी की चेतना पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए श्रमिकों का दुख समाज का दुख है। जब कोई व्यक्ति बीएमएस में आता है, तो वह लाभार्थी नहीं, बल्कि ध्येयार्थी बनकर जाता है।”

समारोह में तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। बीएमएस ने ‘ई-कार्यकर्ता’ नामक डिजिटल ऐप लॉन्च किया, जो संगठन के कार्यकर्ताओं, कार्यों और संवाद को एकीकृत करेगा। इसके साथ ही बीएमएस की 70 वर्षों की यात्रा पर आधारित एक विशेष शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया, जिसने उपस्थितजनों को भावुक कर दिया। इस अवसर पर ‘ऑर्गनाइज़र’ वीकली पत्रिका का बीएमएस पर केंद्रित विशेष संस्करण भी जारी किया गया।

इस कार्यक्रम में देशभर से आए बीएमएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों, विभिन्न प्रांतों के अध्यक्षों और महासचिवों, फेडरेशन प्रतिनिधियों, नेपाल से आए विशेष मेहमानों के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, कई मंत्रीगण, और दिल्ली-एनसीआर से हज़ारों की संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे। समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी उपस्थित कार्यकर्ताओं ने देश की श्रमिक शक्ति के सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और आत्मनिर्भर भारत की स्थापना का संकल्प लिया।

यह भव्य समारोह न केवल बीएमएस के 70 वर्षों की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि एक मजबूत, संगठित और वैचारिक रूप से स्पष्ट भविष्य की ओर बढ़ते श्रमिक आंदोलन की घोषणा भी थी।

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