Female Crew Complaint: एयर इंडिया की महिला क्रू मेंबर ने वरिष्ठ पायलट पर गंभीर आरोप लगाए, न्यायिक कार्रवाई और सुरक्षा की माँग
नई दिल्ली, एयर इंडिया में कार्यरत एक महिला क्रू मेंबर ने एयरलाइन के एक वरिष्ठ पायलट के खिलाफ भावनात्मक और यौन शोषण, धमकी और शक्ति के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला ना केवल पीड़िता के व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि एविएशन इंडस्ट्री में कार्यस्थल पर शक्ति के असंतुलन को लेकर भी कई सवाल खड़े करता है। आरोपी पायलट इस समय न्यायिक हिरासत में है और उसकी जमानत याचिका पर 8 अगस्त 2025 को सुनवाई होनी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़िता और आरोपी पायलट दोनों ही विवाहित थे जब उनके बीच संबंध शुरू हुए। पीड़िता का आरोप है कि पायलट ने भरोसा दिलाया था कि वह अपनी पत्नी को तलाक देकर उससे विवाह करेगा। इसी भरोसे पर पीड़िता ने अपनी शादी तोड़ने का फैसला किया। लेकिन कुछ समय बाद स्पष्ट हो गया कि पायलट का ऐसा कोई इरादा नहीं था। उसने खुले तौर पर स्वीकार किया कि वह अपनी पत्नी और पीड़िता दोनों के साथ संबंध बनाए रखना चाहता है।
जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो आरोपी ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। कथित रूप से उसने पीड़िता की निजी तस्वीरों का दुरुपयोग करते हुए उसे ब्लैकमेल किया और जबरन होटल में बुलाकर शारीरिक संबंध बनाने को मजबूर किया। यह व्यवहार लगातार जारी रहा, जिससे पीड़िता मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट गई।
अपनी गरिमा और सुरक्षा की रक्षा के लिए महिला क्रू मेंबर ने आखिरकार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने पायलट को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब पीड़िता ने कानूनी प्रक्रिया के तहत सख्त कार्यवाही की माँग की है। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता की यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और मानसिक शोषण से संबंधित धाराओं के तहत सजा की माँग की है।
इसके साथ ही, पीड़िता ने एयर इंडिया प्रशासन से भी अपील की है कि आरोपी पायलट को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी अन्य महिला कर्मचारी के साथ भविष्य में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न न हो।
यह मामला कार्यस्थल पर शक्ति के असमान वितरण और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठते सवालों की तरफ इशारा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एविएशन जैसे संरचित और हाई-प्रोफाइल सेक्टर में ऐसी घटनाएं न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि यह इस बात की ओर संकेत करती हैं कि वहाँ कार्यरत महिलाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध नहीं है।
ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि एयरलाइन कंपनियाँ आंतरिक शिकायत समितियों को और अधिक प्रभावशाली बनाएँ, कर्मचारियों के बीच नैतिक आचरण को बढ़ावा दें, और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी महिला किसी भी स्तर पर उत्पीड़न या ब्लैकमेलिंग का शिकार न हो।
इस पूरे मामले की अगली कानूनी सुनवाई 8 अगस्त को होगी, जिसमें पीड़िता की ओर से कठोर सजा और संस्थागत कार्रवाई की माँग की जाएगी।