Sunday, August 3, 2025
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BSF Soldier Return From Pakistan:अटारी बॉर्डर से वतन लौटे BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ, भारत की कड़ी चेतावनी के बाद पाकिस्तान ने लौटाया जवान

BSF Soldier Return From Pakistan: अटारी बॉर्डर से वतन लौटे BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ, भारत की कड़ी चेतावनी के बाद पाकिस्तान ने लौटाया जवान

लगभग 20 दिनों की गुमनामी के बाद भारत के सीमा सुरक्षा बल (BSF) के कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को आखिरकार पाकिस्तान ने भारत को सौंप दिया है। यह घटनाक्रम भारत की कड़ी कूटनीतिक और सैन्य चेतावनियों के बाद संभव हो सका। पूर्णम कुमार को अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तानी रेंजर्स ने सुबह 10:30 बजे भारत को सौंपा, जहां वे अधिकारियों की निगरानी में स्वदेश लौटे।

पूर्णम कुमार पश्चिम बंगाल के निवासी हैं और पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में बीएसएफ की पोस्ट पर तैनात थे। ड्यूटी के दौरान वे गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश कर गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया था और तब से वे पाकिस्तान की गिरफ्त में थे।

भारत सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया। इस बीच, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने पर्यटकों और नागरिकों पर बड़ा हमला किया, जिसे 26/11 के बाद भारत की धरती पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना गया। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस सैन्य कार्रवाई में भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने एक साथ पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए कई आतंकवादी शिविर ध्वस्त कर दिए। यह ऑपरेशन भारत की ‘शून्य सहिष्णुता’ नीति का स्पष्ट संदेश था।

इस दौरान पूर्णम कुमार के परिवार की चिंता लगातार बढ़ती रही। उनकी पत्नी राजनी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि जब भारतीय सेना ने 3 मई को राजस्थान बॉर्डर से एक पाकिस्तानी रेंजर को हिरासत में लिया, तब उम्मीद जगी थी कि उनके पति की रिहाई संभव हो पाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनसे फोन पर बात की और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री ने उनके ससुराल वालों की चिकित्सा सहायता की बात भी कही थी।

भारत ने इस प्रकरण में डीजीएमओ स्तर की बातचीत के जरिए पूर्णम की वापसी के लिए प्रयास तेज कर दिए थे। अंततः इन कूटनीतिक प्रयासों और सैन्य दबाव के चलते पाकिस्तान ने जवान को भारत को सौंप दिया।

पूर्णम कुमार की वापसी न केवल एक सैनिक के सुरक्षित लौटने की खबर है, बल्कि यह भारत की दृढ़ नीति और प्रभावशाली कूटनीति की जीत भी है। भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, और किसी भी तरह की आतंकी या आक्रामक कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।

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