RSS Leader FIR: कर्नाटक में आरएसएस नेता प्रभाकर भट पर भड़काऊ भाषण का मामला दर्ज, महिलाओं को चाकू रखने की दी थी सलाह
कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता कल्लडका प्रभाकर भट के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और साम्प्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला उस वक्त तूल पकड़ गया जब भट ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में न सिर्फ 500 लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए भड़काऊ बयान दिए, बल्कि महिलाओं को आत्मरक्षा के नाम पर चाकू रखने की सलाह भी दी। यह पूरा घटनाक्रम अब कानून के घेरे में आ गया है, और पुलिस ने गंभीरता से जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार, यह मामला बंटवाल ग्रामीण पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत कवलपदुर गांव स्थित माडवा पैलेस कन्वेंशन हॉल में आयोजित कार्यक्रम से जुड़ा है। यह कार्यक्रम 12 मई को आयोजित किया गया था, जिसमें सुहास शेट्टी की याद में एक शोक सभा रखी गई थी। भट ने इस दौरान जो भाषण दिया, उसे पुलिस ने समाज में वैमनस्य और तनाव पैदा करने वाला बताया है।
इस मामले में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) के तहत केस दर्ज किया गया है। मामला दर्ज होते ही मैंगलोर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कार्यक्रम के वीडियो व भाषण की रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर खंगाला जा रहा है।
इसके अलावा, एक अन्य कार्यक्रम में दिए गए उनके बयान ने भी काफी विवाद खड़ा कर दिया है। दरअसल, आरएसएस नेता भट ने 28 अप्रैल को केरल के कासरगोड जिले के मंजेश्वर के वर्कडी क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि “हर हिंदू के घर में तलवार होनी चाहिए। अगर पहलगाम आतंकी हमले के दौरान हिंदुओं ने तलवारें निकाली होतीं, तो वह काफी होता।” उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को अपने पर्स में चाकू रखना चाहिए ताकि वे आत्मरक्षा कर सकें।
यह बयान और भाषण ऐसे समय पर आए हैं जब देश में पहले से ही साम्प्रदायिक माहौल संवेदनशील बना हुआ है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस भाषण को नफरत फैलाने वाला करार देते हुए कार्रवाई की मांग की है। वहीं भट के समर्थक इसे आत्मरक्षा और धार्मिक गौरव के नाम पर दिया गया भाषण बता रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में निष्पक्ष और तटस्थ जांच कर रही है और अगर बयान आपराधिक प्रकृति के पाए गए, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की है।
यह मामला एक बार फिर सार्वजनिक मंचों पर नेताओं की जिम्मेदारी और भाषणों की संवेदनशीलता पर गंभीर बहस छेड़ रहा है।