Cyber Fraud: PINN ऐप के नाम पर हाईटेक साइबर फ्रॉड का भंडाफोड़, दिल्ली पुलिस ने मुंबई से दो ठगों को दबोचा
सोशल मीडिया पर इन्वेस्टमेंट के नाम पर चल रहे हाईटेक साइबर फ्रॉड का खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस की साइबर थाना उत्तर-पूर्व टीम ने बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने एक फर्जी निवेश ऐप ‘PINN’ के जरिए लाखों रुपये की ठगी करने वाले दो शातिर ठगों को मुंबई से गिरफ्तार किया है। ये आरोपी झूठे मुनाफे का लालच देकर लोगों से भारी-भरकम निवेश कराते थे और फिर उनका संपर्क काट देते थे।
इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब दिल्ली के शास्त्री पार्क के मेट्रो विहार इलाके में रहने वाले मनोज कुमार केसरे नामक एक व्यक्ति ने उत्तर-पूर्वी जिले के साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्हें इंस्टाग्राम पर एक लिंक मिला जिसमें PINN नामक मोबाइल ऐप के जरिए भारी मुनाफा कमाने का दावा किया गया था। शुरुआत में ऐप ने उन्हें कुछ रकम का रिटर्न दिया, जिससे उनका भरोसा जीत लिया गया। इसके बाद उन्होंने करीब 21 लाख रुपये किस्तों में निवेश कर दिए। जब उन्होंने अपनी रकम वापस निकालनी चाही तो न ऐप चालू रहा, न ही उनसे कोई संपर्क हो पाया।
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए साइबर थाना नॉर्थ ईस्ट की टीम ने जांच शुरू की। जांच का नेतृत्व SHO इंस्पेक्टर राहुल कुमार ने किया, जिसमें एसआई मोहित यादव, कांस्टेबल अभिषेक और कांस्टेबल कपिल शामिल थे। टीम ने एसीपी ऑपरेशंस श्री मंगेश गेडम के मार्गदर्शन में जांच को अंजाम दिया। तकनीकी सर्विलांस, सोशल मीडिया गतिविधियों और बैंक ट्रांजेक्शनों की गहन जांच के बाद टीम को दो बैंक खातों का पता चला जिनमें संदिग्ध रूप से ₹6 लाख-₹6 लाख की रकम जमा की गई थी। ये खाते मुंबई में थे और उनसे संपर्क न होने पर पुलिस टीम तुरंत मुंबई पहुंची।
मुंबई के गोरेगांव वेस्ट इलाके में स्थित ‘Fantastic Entertainment’ नामक फर्जी ऑफिस पर छापा मारकर पुलिस ने दो आरोपियों—राज चौहान (21 वर्षीय, निवासी मऊ, उत्तर प्रदेश) और संतोष कुमार (35 वर्षीय, निवासी आजमगढ़)—को धर दबोचा। मौके से भारी मात्रा में साइबर अपराध में इस्तेमाल होने वाला सामान जब्त किया गया जिसमें एक POS मशीन, 12 मोबाइल फोन, 2 फिंगरप्रिंट स्कैनर, 85 सिम कार्ड, 69 एटीएम कार्ड, 15 स्टांप और कई फर्जी दस्तावेज शामिल थे।
पूछताछ में इन ठगों ने पुलिस को बताया कि वे ‘SUPPLY SPHARE SOLUTIONS’ नामक एक फर्जी संस्था की आड़ में बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर उनके डॉक्युमेंट्स इकट्ठा करते थे। इन दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से उद्यम पंजीकरण और GST रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता था। फिर इन्हीं पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर कई बैंक अकाउंट खोले जाते थे, जिनका उपयोग साइबर ठगी में किया जाता था। यही बैंक खाते बाद में अन्य साइबर क्राइम गैंग्स को मोटी रकम में बेच दिए जाते थे, जो देशभर में लोगों से ठगे गए पैसों को समेटने का काम करते थे।
दिल्ली पुलिस की इस सटीक और त्वरित कार्रवाई से न सिर्फ लाखों रुपये की ठगी का खुलासा हुआ है बल्कि एक बड़े साइबर क्राइम नेटवर्क की जड़ें भी सामने आई हैं। फिलहाल पुलिस इस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और पूरे नेटवर्क को खंगाला जा रहा है।