Sunday, August 3, 2025
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Delhi: दिल्ली के 100 दिन का सफाई मॉडल बेनकाब, गांधी नगर के झील चौक पर कूड़े का अंबार, मशीनें भी फेल

Delhi: दिल्ली के 100 दिन का सफाई मॉडल बेनकाब, गांधी नगर के झील चौक पर कूड़े का अंबार, मशीनें भी फेल
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी द्वारा एमसीडी में सत्ता में आने के बाद 100 दिनों का “साफ-सुथरा दिल्ली” मॉडल पेश किया जा रहा है। दावों के मुताबिक राजधानी की गलियों से कूड़ा हटाया जा रहा है, लैंडफिल साइट्स पर हरियाली लाई जा रही है और नागरिकों को साफ-साफ दिल्ली का वादा किया जा रहा है। लेकिन जब ग्राउंड रियलिटी की बात आती है, तो राजधानी के गांधी नगर विधानसभा क्षेत्र का झील चौक एक अलग ही सच्चाई बयान करता है। गांधी नगर वार्ड स्थित झील चौक, जो गीता कॉलोनी और कृष्णा नगर को जोड़ने वाला मुख्य जंक्शन है, आज कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका है। यहां दो आधुनिक कूड़ा निस्तारण मशीनें लगाई गई थीं, जो अब खुद कूड़े से भर चुकी हैं और निष्क्रिय पड़ी हैं। इन मशीनों में कूड़ा भरकर रह गया है, लेकिन सफाई नहीं की जा रही, न ही नियमित रूप से कूड़ा उठाया जा रहा है। परिणामस्वरूप, अब रोज का कचरा सड़कों पर फैल रहा है और स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं।
यह चौक इतना व्यस्त है कि दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की अनेक बसें यहां से गुजरती हैं, लेकिन अब यहां से गुजरते समय यात्रियों को अपनी आंख और नाक दोनों बंद करनी पड़ती हैं। जहां एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि लैंडफिल साइट्स को खाली कर पौधारोपण किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, मोहल्लों का कचरा अब सड़कों पर उतर आया है। इससे यही प्रतीत होता है कि जैसे लैंडफिल पर जाने वाला कचरा अब सड़क किनारे ही फेंका जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि एमसीडी सफाई कर्मचारियों से लेकर कूड़ा प्रबंधन के लिए तैनात निजी कंपनी मेट्रो वेस्ट तक सभी लापरवाही बरत रहे हैं। ठेके पर कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां मौके पर आती तो हैं, लेकिन कचरा वहीं छोड़कर चली जाती हैं। CCTV फुटेज में भी ऐसे कई मामलों के प्रमाण सामने आए हैं जहां कर्मचारी कूड़ा वहीं फेंकते नजर आ रहे हैं।
जब रिपोर्टर ने राहगीरों से बातचीत की तो एक बुजुर्ग ने कहा, “आप जिस जगह खड़े होकर सवाल पूछ रहे हैं, वहां खड़ा रहना भी मुमकिन नहीं है, सांस लेना मुश्किल है। बदबू इतनी है कि बीमार पड़ जाएंगे।” यह जवाब इस पूरे सिस्टम की असफलता को स्पष्ट करता है। दिल्ली बीजेपी जहां एक ओर 100 दिनों की सफाई उपलब्धियां गिना रही है, वहीं जमीनी हकीकत झील चौक जैसे स्थानों पर साफ देखी जा सकती है। यदि जल्द ही यहां सफाई नहीं कराई गई और मशीनों की मरम्मत कर उन्हें दोबारा सक्रिय नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र गंभीर स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकता है।
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