Delhi: दिल्ली के गाजीपुर में जलाशय बने कूड़े के ढेर, करोड़ों खर्च के बावजूद देखरेख नदारद
दिल्ली में जल संरक्षण को लेकर भले ही लाख दावे किए जाते हों, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट सामने आ रही है। वर्षा जल संचयन और सूख चुके जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए जलाशय आज खुद बदहाली का शिकार हैं। इसका ताजा उदाहरण पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर गांव में देखने को मिला है, जहां कभी जल संचयन के उद्देश्य से बनाए गए दो जलाशयों की हालत बेहद खराब हो चुकी है। गाजीपुर और ताज एन्क्लेव के पास बने इन जलाशयों को आधुनिक रूप दिया गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, पहले यहां एक प्राकृतिक तालाब था, जिसे पुनः विकसित कर सुंदर जलाशय में बदला गया था। लेकिन कुछ ही वर्षों में वह फिर से उपेक्षा और गंदगी का केंद्र बन गया। इन जलाशयों में अब जल नहीं, बल्कि प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा और कीचड़ दिखाई देता है। बदबू और मच्छरों के कारण आसपास के लोगों का रहना दूभर हो चुका है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि ताज एन्क्लेव जलाशय के पास एक छठ घाट भी बनाया गया था, जहां हर साल छठ पूजा का आयोजन किया जाता है। मगर यह सफाई केवल त्योहार के आसपास ही होती है। बाकी समय यहां न तो कोई देखरेख होती है, न ही सफाई। जिस उद्देश्य से यह जलाशय बनाए गए थे — वर्षा जल को संग्रहित कर भूजल स्तर बढ़ाना — वह अब पूरी तरह विफल होता नजर आ रहा है। दिल्ली में मानसून की आमद करीब है, लेकिन इन जलाशयों की मौजूदा स्थिति को देखकर यह उम्मीद करना व्यर्थ लगता है कि यहां पानी भरकर किसी काम में आएगा। उल्टा बारिश में यह स्थल जलभराव और बीमारियों का कारण बन सकते हैं। जलाशय के किनारे बनी पक्की संरचनाएं टूट चुकी हैं, पेड़-पौधे उखड़ चुके हैं और सुरक्षा रेलिंगें जंग खा रही हैं।
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इन जलाशयों की नियमित सफाई और पुनर्विकास की मांग की है। उनका कहना है कि जब सरकार जल संकट को लेकर जागरूकता फैला रही है, तो पहले से मौजूद जल संरचनाओं को संरक्षित करना भी उतना ही जरूरी है। दिल्ली नगर निगम और जल बोर्ड द्वारा इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि समय रहते इन जलाशयों की मरम्मत, सफाई और पुनर्जीवन की दिशा में काम नहीं किया गया, तो न सिर्फ करोड़ों की लागत बेकार जाएगी, बल्कि एक बार फिर दिल्ली जल संकट की ओर बढ़ जाएगी।