Delhi Stray Cattle Attack: दिल्ली में फिर बेकाबू आवारा पशु, बुजुर्ग महिला को रौंदा, वीडियो वायरल
दिल्ली की सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने राजधानी में प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक बुजुर्ग महिला सड़क के किनारे धीरे-धीरे चल रही थी, तभी पीछे से आवारा पशुओं का एक झुंड अचानक दौड़ता हुआ आया और उसे रौंदते हुए आगे निकल गया।
घटना में महिला को मामूली चोटें आईं, लेकिन यह घटना न सिर्फ डरावनी थी बल्कि यह भी दर्शाती है कि शहर की सड़कों पर इन मवेशियों का कब्ज़ा आम जनजीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। आसपास मौजूद कुछ लोगों ने तत्काल दौड़कर महिला को उठाया और उसकी मदद की।
इस घटना के बाद फिर से आवारा पशुओं की समस्या पर सवाल उठने लगे हैं। खास बात यह है कि जब दिल्ली में सरकार बदली थी, तब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने खुद सड़क पर चलते हुए अपने काफिले को रोककर आवारा पशुओं को देखा था और तुरंत उनके मालिकों को बुलाकर सख्त फटकार भी लगाई थी। उस समय उन्होंने साफ निर्देश दिए थे कि राजधानी में अब कोई भी पशु खुले में, सड़क पर नजर नहीं आना चाहिए।
लेकिन उनकी सख्ती के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। गाजीपुर, खिचड़ीपुर और पूर्वी दिल्ली के अन्य कई इलाकों में आज भी सड़कों पर आवारा पशुओं के झुंड देखे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई पशु पालक सुबह इन गायों और बैलों का दूध निकालते हैं और फिर उन्हें पूरे दिन सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। शाम को फिर इन्हें वापस घर ले जाया जाता है।
इन मवेशियों के कारण सड़क हादसों का खतरा बढ़ जाता है। कई बार ये पशु आपस में लड़ते हैं या राह चलते लोगों को टक्कर मार देते हैं। यह नज़ारा राजधानी के कई इलाकों में आम हो चुका है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन, नगर निगम और स्थानीय पार्षदों को इस समस्या को लेकर शिकायत दी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। शिकायत करने वालों को अक्सर पशु मालिकों से धमकियां तक मिलती हैं।
लोगों ने आरोप लगाया कि जब वे एमसीडी या हेल्पलाइन में शिकायत करते हैं, तो निगम के कुछ कर्मचारी खुद पशु मालिकों को फोन कर शिकायत की जानकारी दे देते हैं। इससे स्थिति और बिगड़ जाती है क्योंकि इसके बाद पशु मालिक शिकायत करने वालों से बहस या झगड़ा करने पहुंच जाते हैं।
यह पूरी घटना न केवल राजधानी की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक सक्रियता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दिल्ली में आवारा पशुओं पर नकेल कसने की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक गंभीर हो चुकी है।