Saturday, August 2, 2025
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Lal Bagh Jhuggi Demolition: दिल्ली के रोहतास नगर लाल बाग झुग्गी कॉलोनी पर बुलडोज़र की तैयारी, 31 जुलाई के बाद हटाए जाने की चेतावनी, निवासियों में डर और आक्रोश

Lal Bagh Jhuggi Demolition: दिल्ली के रोहतास नगर लाल बाग झुग्गी कॉलोनी पर बुलडोज़र की तैयारी, 31 जुलाई के बाद हटाए जाने की चेतावनी, निवासियों में डर और आक्रोश

दिल्ली के रोहतास नगर विधानसभा क्षेत्र स्थित लाल बाग झुग्गी कॉलोनी में रह रहे सैकड़ों परिवार इन दिनों गहरी चिंता और अनिश्चितता में जी रहे हैं। रेलवे विभाग द्वारा जारी नोटिस के अनुसार 31 जुलाई के बाद इस झुग्गी बस्ती पर कार्रवाई करते हुए उसे खाली करवाया जाएगा। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस तिथि तक लोग अपनी झुग्गियों को नहीं हटाते, तो विभाग स्वयं बुलडोज़र चलाकर पूरी बस्ती को गिरा देगा, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी निवासियों की होगी।

झुग्गी कॉलोनी के प्रधान ने बताया कि इस विषय में उन्होंने अपने क्षेत्र के विधायक और सांसद से भी संपर्क किया है। उन्होंने अधिकारियों से भी आग्रह किया है कि उन्हें कुछ और समय दिया जाए ताकि वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके। प्रधान का कहना है कि अगर झुग्गी अनधिकृत है और प्रशासन की कार्रवाई सही है, तो वे उसका विरोध नहीं करेंगे, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठाते हैं कि पिछले 40 वर्षों से रेलवे को इस ज़मीन की याद क्यों नहीं आई? अब जब सरकार बदली है, तब अचानक रेलवे को अपनी जमीन का ध्यान आ गया और उसने नोटिस चिपकाने शुरू कर दिए।

निवासियों का आरोप है कि उन्हें इस नोटिस के माध्यम से बहुत कम समय में जगह खाली करने का आदेश मिला है, जबकि उनके पास न रहने का विकल्प है, न कोई योजना। उनका कहना है कि इतने वर्षों से वे इसी जगह पर रहकर अपना जीवन चला रहे थे। उनके बच्चों की पढ़ाई यहीं के स्कूलों में चल रही है, कई लोग आसपास के दुकानों, फैक्ट्रियों या दिहाड़ी मजदूरी से जुड़कर अपना गुज़ारा करते हैं। अब अचानक उजाड़ दिए जाने की बात से उनके सामने जीवन संकट खड़ा हो गया है।

कॉलोनी में रहने वाले एक निवासी ने कहा, “हममें से अधिकतर लोग मामूली वेतन पर काम करते हैं, हमें किराए पर मकान भी नहीं मिल रहा है। प्राइवेट मकान मालिक बड़ी रकम मांगते हैं। सरकारी सहायता की कोई व्यवस्था नहीं बताई गई है। अगर हमें निकाला गया, तो हम कहां जाएं? हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा।”

स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि यह फैसला किसी सुनवाई या पुनर्वास योजना के बिना लिया गया है। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि या तो उन्हें उचित पुनर्वास की व्यवस्था दी जाए या कम से कम समय और विकल्प प्रदान किए जाएं

 

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