Saturday, August 2, 2025
spot_img
Homeदेश दुनियाAssam Flood 2025: पूर्वोत्तर में बारिश और बाढ़ से भारी तबाही: 50...

Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर में बारिश और बाढ़ से भारी तबाही: 50 की मौत, सैकड़ों गांवों का संपर्क टूटा, लाखों प्रभावित

Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर में बारिश और बाढ़ से भारी तबाही: 50 की मौत, सैकड़ों गांवों का संपर्क टूटा, लाखों प्रभावित

पूर्वोत्तर भारत इस समय अपने सबसे गंभीर प्राकृतिक संकटों में से एक से जूझ रहा है। असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम जैसे राज्यों में भारी बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 50 लोगों की मौत हो चुकी है और 6.79 लाख से अधिक लोग बाढ़ और बारिश से प्रभावित हुए हैं। हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है और सैकड़ों गांवों का संपर्क देश के बाकी हिस्सों से कट गया है।

असम सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में शामिल

असम राज्य में हालात सबसे अधिक खराब बताए जा रहे हैं। यहां 29 मई से अब तक बाढ़ और भूस्खलन की वजह से 19 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के 21 जिलों में 6.79 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। श्रीभूमि जिले में सबसे ज्यादा 2.59 लाख लोग प्रभावित हैं, उसके बाद हैलाकांडी में 1.72 लाख और नगांव में 1.02 लाख लोग प्रभावित हैं। कुल 1,494 गांव जलमग्न हैं और 14,977 हेक्टेयर फसल भूमि पानी में डूब चुकी है। प्रभावितों के लिए 190 राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें करीब 40,000 लोगों को अस्थायी आश्रय दिया गया है।

अन्य राज्यों में भी हालात गंभीर

अरुणाचल प्रदेश में डिबांग वैली जिले में हालात अत्यंत गंभीर हैं। भारी बारिश के कारण एक पुल बह गया है, जिससे कई गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है। प्रशासन अब ड्रोन और हेलिकॉप्टर के जरिए राहत सामग्री गांवों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। अरुणाचल में 12, मेघालय में 6, मिजोरम में 5, सिक्किम में 4, त्रिपुरा में 2 और नागालैंड व मणिपुर में एक-एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इससे पूर्वोत्तर राज्यों में आपदा की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

नदियां उफान पर, खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं

ब्रह्मपुत्र समेत असम की कुल 9 नदियां — बुरहिडीहिंग, कोपिली, बराक, सोनाई, रुकनी, धलेश्वरी, कटखल और कुशियारा — कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इन नदियों के किनारे बसे गांवों में जलभराव और तटबंधों के टूटने की आशंका बनी हुई है। राज्य सरकार ने संवेदनशील इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है और राहत एवं बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं।

मौसम विभाग का चेतावनी भरा पूर्वानुमान

गुवाहाटी स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) ने अगले कुछ दिनों के लिए भारी से बहुत भारी वर्षा का अनुमान जताया है। खासकर धुबरी, दक्षिण सलमारा-मनकाचर, ग्वालपारा और कोकराझार जिलों में तेज गरज के साथ भारी बारिश, बिजली चमकने और 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने की संभावना है। यह स्थिति और अधिक जन-धन हानि को जन्म दे सकती है।

सरकार की चुनौती और राहत प्रयास

हालात को देखते हुए राज्य सरकारें और आपदा प्रबंधन एजेंसियां पूरी ताकत से राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। लेकिन दूरदराज और कटे हुए इलाकों में फंसे लोगों तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है। खासकर अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन के कारण रास्ते पूरी तरह बंद हो चुके हैं। केंद्र सरकार ने भी स्थिति पर निगरानी रखते हुए एनडीआरएफ की टीमें तैनात करने का निर्देश दिया है।

कृषि, यातायात और आधारभूत संरचना को बड़ा नुकसान

इस आपदा ने न सिर्फ लोगों की जान ली है बल्कि उनकी आजीविका पर भी गंभीर असर डाला है। हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है, सड़कें टूट गई हैं, पुल बह गए हैं और बिजली तथा संचार सेवाएं ठप हो गई हैं। स्कूल, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सुविधाएं भी प्रभावित हुई हैं। आने वाले समय में पुनर्वास और पुनर्निर्माण की बड़ी चुनौती सामने होगी।

निष्कर्ष

पूर्वोत्तर भारत प्राकृतिक आपदा के भीषण संकट से गुजर रहा है। इस त्रासदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन के कारण अब देश के हरे-भरे और अपेक्षाकृत शांत माने जाने वाले इलाकों में भी गंभीर आपदाएं दस्तक दे रही हैं। यह वक्त है जब सरकार और समाज दोनों को मिलकर इन चुनौतियों से निपटने की व्यापक और दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments