Operation Sindoor Debate: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान: पाकिस्तान की साजिशों को किया बेनकाब, UNSC में भारत का पक्ष हुआ मजबूत
लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सदन को संबोधित करते हुए विस्तार से भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति, पाकिस्तान की करतूतें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत की आतंकवाद के प्रति नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की है और हम इसके खिलाफ किसी भी स्तर तक जाकर कार्रवाई करने को तैयार हैं।
विदेश मंत्री ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने एक निर्णायक और सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि इसके पीछे पाकिस्तान की सोची-समझी साजिश थी जिसका मकसद भारत की आंतरिक शांति को भंग करना और कश्मीर की आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाना था। इस हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने बेहद कड़े फैसले लिए, जिनका असर पाकिस्तान पर साफ देखा गया।
एस जयशंकर ने बताया कि 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें पाँच प्रमुख फैसले लिए गए:
- सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया गया, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता।
- अटारी चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया।
- एसएआरसी वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तानियों को अब भारत में यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- पाकिस्तान हाई कमीशन के रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया।
- पाकिस्तान हाई कमीशन के स्टाफ की संख्या 55 से घटाकर 30 करने का निर्णय लिया गया।
जयशंकर ने कहा कि भारत ने इस हमले के बाद सिर्फ आंतरिक निर्णय नहीं लिए, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी दुनिया को पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक छवि से रूबरू कराया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने मजबूती से अपना पक्ष रखा और दुनिया को बताया कि हम आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि UNSC ने भारत की बातों को गंभीरता से सुना और समर्थन भी दिया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए सीजफायर संबंधी दावों को भारत ने सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत को एक मजबूत, स्पष्ट और निर्णायक संदेश देना ज़रूरी था, और हमने वही किया।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत की रणनीति सिर्फ जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं थी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की करतूतों को बेनकाब कर एक वैश्विक दबाव बनाने की थी। उन्होंने बताया कि यह हमला केवल भारत की सुरक्षा पर ही नहीं बल्कि उसकी संप्रभुता, समाज और अर्थव्यवस्था पर भी सीधा हमला था।
विदेश मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि आज की वैश्विक दुनिया में किसी एक देश के आतंकी हमले को केवल स्थानीय या क्षेत्रीय मुद्दा मानना बड़ी भूल होगी। उन्होंने कहा कि हमें यह बताना था कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को एक नीति के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है और इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।