Paras Hospital Murder: पटना के पारस हॉस्पिटल में दिनदहाड़े गैंगवार. इलाज कराने आए गैंगस्टर चंदन मिश्रा की गोली मारकर हत्या
बिहार की राजधानी पटना से एक बार फिर अपराध के दुस्साहसिक चेहरे ने सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। शहर के प्रतिष्ठित और हाई-सिक्योरिटी वाले पारस हॉस्पिटल में दिनदहाड़े गोली चलने की वारदात से पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। यह हमला किसी साधारण व्यक्ति पर नहीं, बल्कि एक कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा पर हुआ, जो इलाज के लिए जेल से कोर्ट के आदेश पर पैरोल पर बाहर आया था।
घटना बुधवार को उस वक्त हुई जब चंदन मिश्रा को परिजन इलाज के लिए पारस हॉस्पिटल लाए थे। तभी चार की संख्या में आए हमलावरों ने अस्पताल के अंदर घुसकर उसे गोलियों से छलनी कर दिया। पूरी वारदात इतनी तेजी से हुई कि मौके पर अफरातफरी मच गई और अस्पताल के मरीज़ों, कर्मचारियों और तीमारदारों में दहशत फैल गई। हमलावर बेखौफ अंदाज़ में वारदात को अंजाम देकर मौके से फरार हो गए।
चंदन मिश्रा मूल रूप से बक्सर जिले का रहने वाला था। वह बक्सर में केसरी नामक पेंट व्यापारी की हत्या के एक चर्चित मामले में आरोपी था और फिलहाल बेऊर जेल में बंद था। कोर्ट से इलाज के लिए उसे अस्थायी तौर पर रिहाई मिली थी, जिसे अपराधियों ने अपना अवसर बना लिया। पुलिस के अनुसार, चंदन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी और गैंगवार से जुड़े कई संगीन मामले दर्ज थे। बक्सर में उसका और शेरू नाम के अपराधी के गैंग के बीच वर्षों से दुश्मनी चली आ रही थी।
पुलिस का संदेह है कि चंदन की हत्या शेरू गिरोह ने करवाई है। दोनों गैंग लंबे समय से वर्चस्व की लड़ाई में एक-दूसरे को निशाना बनाते रहे हैं। कुछ समय पहले इनके बीच गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई थीं। यह हत्या उसी पुरानी दुश्मनी की कड़ी मानी जा रही है।
पटना एसएसपी कार्तिकेय शर्मा और आईजी जितेंद्र राणा घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। पुलिस फिलहाल अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है और फरार अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित कर दी गई है।
इस घटना ने राजधानी की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर तब, जब यह हत्या एक अत्याधुनिक अस्पताल के भीतर हुई, जहां आम तौर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम होते हैं। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि हमलावर अस्पताल में कैसे दाखिल हुए और क्या उन्हें किसी अंदरूनी व्यक्ति से मदद मिली।
इस हत्याकांड ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार में अपराधी अब कानून से नहीं, बल्कि कानून के बीच घुसकर अपनी साजिशों को अंजाम देने में जुटे हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या पैरोल के दौरान हाई-प्रोफाइल अपराधियों की सुरक्षा पर्याप्त है? क्या जेल से बाहर निकलते ही इन पर निगरानी की कोई ठोस व्यवस्था है?