Patparganj: पटपड़गंज गांव में पेड़ कटाई का विवाद, दिल्ली पुलिस और बिल्डरों पर मिलावट का आरोप
दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है और राजधानी के निवासियों को सांस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच, पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज गांव में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें स्थानीय बिल्डरों और पुलिस अधिकारियों पर हरे-भरे पेड़ों की कटाई में मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया है। इस घटना ने पर्यावरण और नागरिक सुरक्षा को लेकर नई चिंता पैदा कर दी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, पटपड़गंज गांव में आज सुबह 8 बजे से लेकर 10 बजे तक कई पेड़ों को काटा गया। ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बताया कि कटाई करने वाले व्यक्तियों को जब पकड़ा जाता है तो उन्हें थाने ले जाकर पूछताछ की जाती है और फिर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद वे बिना किसी रोक-टोक के पूरे पेड़ काट देते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से जारी है और स्थानीय निवासियों का कहना है कि इससे गांव का हरित आवरण खत्म हो रहा है और क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की कटाई न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है बल्कि शहर के बढ़ते प्रदूषण स्तर में भी इजाफा करती है। पेड़ न केवल ऑक्सीजन देने का काम करते हैं, बल्कि धूल और हानिकारक कणों को भी सोखते हैं। पटपड़गंज गांव में हुई यह कटाई ऐसे समय में हुई है जब दिल्ली में वायु गुणवत्ता पहले ही खतरे के स्तर पर है।
स्थानीय निवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता इस कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि सरकार और पुलिस को चाहिए कि वह बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाएं और पेड़ों की कटाई रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। इसके अलावा, लोगों का विश्वास उठ रहा है कि कानून केवल लोगों पर लागू होता है और कुछ बिल्डरों और अधिकारियों को विशेष संरक्षण प्राप्त है।
इस मामले ने राजधानी में पर्यावरण संरक्षण और कानूनी कार्यवाही की सख्ती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्षेत्रवासियों की मांग है कि पटपड़गंज गांव में कटे हुए पेड़ों की भरपाई के लिए जल्द ही पौधारोपण अभियान चलाया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जाए।
यह मामला केवल पटपड़गंज तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दिल्ली में पर्यावरण और शहर की वायु गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव डालता है। नागरिकों और प्रशासन दोनों के लिए यह चेतावनी है कि पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और शहर के बढ़ते प्रदूषण से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।



