राजधानी दिल्ली की ‘दिल की पुलिस’ कही जाने वाली दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। आनंद विहार बस अड्डे पर सेंधमारी का शिकार हुए एक परिवार को इंसाफ के लिए 15 दिन से दो थानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या है पूरा मामला?
31 मई को कृष्णकांत अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से ट्रेन द्वारा आनंद विहार रेलवे स्टेशन पहुंचे। वहां से फरीदाबाद जाने के लिए आनंद विहार बस अड्डे पर पहुंचे। बसों में भारी भीड़ के चलते वह खाली बस का इंतजार कर रहे थे। तभी एक अनजान व्यक्ति से उनकी जान-पहचान हो गई। वही व्यक्ति जिस बस में कृष्णकांत सवार हुए, उसी में चढ़ गया और उनका सामान रखने में मदद भी की।
बस से उतरने के बाद कृष्णकांत ने देखा कि उनका ट्रॉली बैग खुला हुआ था। जब बैग चेक किया गया, तो उसमें रखे गहने, नगदी और एटीएम कार्ड गायब थे। यह उनके जीवन भर की कमाई थी।
CCTV फुटेज में आरोपी कैद
कृष्णकांत ने अगले दिन डीटीसी बस की CCTV फुटेज हासिल की, जिसमें एक व्यक्ति उनके बैग से गहनों की पोटली निकालता साफ़ दिखाई दे रहा है। यह फुटेज लेकर वह PIA थाने पहुंचे, जहां से उन्हें मधु विहार थाने भेज दिया गया। मधु विहार थाने में भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार मुकदमा तो दर्ज हो गया, लेकिन अभी तक न तो गहने बरामद हुए और न ही आरोपी की गिरफ्तारी हुई है।
SHO बोले- “और भी काम हैं”
पीड़ित कृष्णकांत का आरोप है कि PIA थाने के SHO सत्यप्रकाश ने उनसे कहा कि, “हमारे पास और भी बहुत काम हैं, अगर जल्दी है तो खुद ढूंढ लो।” पीड़ित ने यह भी बताया कि उसके पास सबूत के तौर पर वीडियो फुटेज मौजूद है, लेकिन पुलिस कोई सुनवाई नहीं कर रही है।
अब कृष्णकांत न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पुलिस की ढीली कार्यशैली से बेहद परेशान हैं। यह मामला न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आम नागरिकों के भरोसे को भी चोट पहुंचाता है।