Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर भारत में भीषण बाढ़ का कहर: असम में हालात गंभीर, अब तक 48 लोगों की मौत
पूर्वोत्तर भारत इन दिनों भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। असम समेत सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर में भारी बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे और लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं, सैकड़ों गांव जलमग्न हैं, और हजारों हेक्टेयर फसल तबाह हो चुकी है। प्रभावित लोग सरकारी राहत शिविरों और ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं, लेकिन पानी का स्तर लगातार बढ़ने से उन्हें भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना चुनौती बन गया है।
असम में मंगलवार को हालात और खराब हो गए जब बाढ़ के चलते छह और लोगों की जान चली गई। इस साल बाढ़ और भूस्खलन से असम में मरने वालों की कुल संख्या 17 तक पहुंच चुकी है। पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में यह आंकड़ा बढ़कर 48 हो गया है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 21 जिलों में बाढ़ का गंभीर प्रभाव देखा जा रहा है। 1506 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है और करीब 6.33 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। लगभग 14,739 हेक्टेयर कृषि भूमि पानी में डूबी हुई है, जिससे किसान तबाह हो चुके हैं।
ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक छह नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इन नदियों के आसपास बसे गांवों और शहरों में लगातार अलर्ट जारी किया गया है। कई क्षेत्रों में सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया है, और सेना तथा आपदा प्रबंधन बल (NDRF) के जवान नावों व हेलीकॉप्टरों की मदद से राहत एवं बचाव अभियान चला रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से बातचीत कर स्थिति की समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने सभी प्रभावित राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया है। राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
सिर्फ असम ही नहीं, अरुणाचल प्रदेश में 12, मेघालय में 6, मिजोरम में 5, सिक्किम में 4, त्रिपुरा में 2 और मणिपुर व नागालैंड में एक-एक मौत दर्ज की गई है। कई जगह भूस्खलन के कारण सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और बिजली-पानी जैसी मूलभूत सेवाएं भी बाधित हैं।
पूर्वोत्तर के नागरिकों के लिए यह समय बेहद कठिन है। प्रशासन और आपदा राहत एजेंसियां पूरे दमखम से काम कर रही हैं लेकिन बारिश के जारी रहने से चुनौतियां भी लगातार बढ़ रही हैं। राज्य सरकारों ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। प्रभावित इलाकों में राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई जा रही है और फूड पैकेट्स, दवाइयों, पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
यह आपदा एक बार फिर बताती है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब देश के हर कोने में साफ दिखाई दे रहा है। पूर्वोत्तर भारत जो प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, अब लगातार प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ रहा है। आने वाले समय में इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी।