Uttarakhand Bridge Failure: चमोली में निर्माणाधीन वैली ब्रिज गिरा, ग्रामीणों की सालों पुरानी समस्या फिर खड़ी
उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली क्षेत्र में रतगांव को जोड़ने के लिए प्राणमती नदी पर बनाया जा रहा 60 मीटर लंबा निर्माणाधीन वैली ब्रिज गुरुवार को अचानक भरभराकर गिर गया। इस हादसे ने न केवल करोड़ों रुपये की लागत पर पानी फेर दिया, बल्कि ग्रामीणों की वर्षों पुरानी समस्या को फिर सामने ला दिया है।
कुछ साल पहले इसी स्थान पर बना मोटर पुल नदी में बह गया था, जिससे रतगांव और आस-पास के गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया था। मानसून के समय यह इलाका लगभग तीन महीने तक बाकी दुनिया से कट जाता है। अस्पताल, स्कूल और आवश्यक सेवाएं ठप पड़ जाती हैं। दो साल से ग्रामीण शासन और लोक निर्माण विभाग (PWD) के चक्कर काट रहे थे। हाल ही में उम्मीद जगी थी कि नया पुल जल्द तैयार हो जाएगा, लेकिन यह भी अधूरा ही ढह गया।
स्थानीय आक्रोश और लापरवाही के आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुल निर्माण में अनुभवहीन इंजीनियरों की तैनाती की गई थी और संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद निर्माण में लापरवाही बरती गई। रतगांव निवासी हरिश चंद्र ने बताया, “हमने बार-बार चेताया था कि इस इलाके की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए मजबूत और तकनीकी निगरानी जरूरी है, लेकिन प्रशासन ने हमारी बात नहीं सुनी।”
घटना के बाद लोक निर्माण विभाग पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। ग्रामीणों ने उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
PWD का बयान और ग्रामीणों की आशंका
PWD के अधिकारियों ने दावा किया है कि हादसे की जांच शुरू कर दी गई है और जल्द ही पुल के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अब बरसात पास है और वैली ब्रिज के गिर जाने के बाद एक बार फिर वे महीनों तक अलग-थलग पड़े रहेंगे।
यह हादसा ना केवल विभागीय लापरवाही का प्रतीक है बल्कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पर्वतीय राज्य में बुनियादी ढांचे की कमजोर स्थिति को भी उजागर करता है।