Barabanki Bus Accident: बाराबंकी में बारिश के बीच दर्दनाक हादसा: चलती रोडवेज बस पर गिरा पेड़, 5 की मौत, रेस्क्यू में दिखा इंसानियत और संवेदनहीनता का मिला-जुला रूप
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में शुक्रवार को भारी बारिश के बीच एक बड़ा हादसा हो गया, जब यात्रियों से भरी एक रोडवेज बस पर भारी-भरकम पेड़ आकर गिर गया। इस भयावह दुर्घटना में चार महिलाओं सहित कुल पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि आधा दर्जन से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बस के अंदर फंसे लोग अपनी जान बचाने के लिए चीख-पुकार मचाते रहे, कुछ खिड़कियों से कूदकर बाहर निकले, वहीं कई लोग पेड़ की शाखाओं और बस की कुचली हुई छत के नीचे बुरी तरह फंस गए।
यह हादसा बाराबंकी-हैदरगढ़ मार्ग पर हरख राजा बाजार के पास उस वक्त हुआ, जब रोडवेज की बस मुसाफिरों को लेकर हैदरगढ़ की ओर जा रही थी। तभी अचानक एक विशालकाय पेड़ तेज बारिश और आंधी में जड़ से उखड़ गया और सीधा चलती बस पर आ गिरा। अचानक हुए इस हादसे से चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। राहगीर और स्थानीय लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और फंसे यात्रियों को बचाने की कोशिश में जुट गए। हालांकि, राहत व बचाव कार्य में बारिश के कारण काफी बाधा आई और पेड़ की मोटी शाखाओं को काटकर ही यात्रियों को बस से निकाला जा सका।
इस बीच, बस में फंसी एक महिला की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जिसमें वह कहती दिखी—”यहां जिंदगी और मौत का सवाल है, आप वीडियो बना रहे हैं, अगर आकर पेड़ की डाल हटवाते तो हम बाहर निकल पाते।” इस महिला की पुकार ने संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के प्रति एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। उस युवक को बाद में भीड़ ने वहां से हटा दिया, लेकिन यह दृश्य समाज के दो पहलुओं को उजागर करता है—एक तरफ मदद को तत्पर लोग, और दूसरी तरफ संवेदनहीनता के शिकार तमाशबीन।
अधिकारियों ने बताया कि बस में सफर कर रही एक महिला टीचर भी इस हादसे में जान गंवा बैठीं। बताया जा रहा है कि उन्हें ट्रेनिंग में छुट्टी मिलने के बावजूद बेसिक शिक्षा अधिकारी (BO) के मौखिक आदेश पर स्कूल जाना पड़ा था। मृतकों में बस चालक भी शामिल है। हादसे के बाद सभी घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें दो की हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलिस और प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और रास्ते को साफ कराया। पेड़ की मोटी शाखाओं को काटने के लिए जेसीबी मशीन बुलाई गई और क्रेन की मदद से बस पर गिरे पेड़ को हटाया गया। हादसे के कारण हाईवे पर लंबा जाम लग गया था, जिसे कुछ घंटों में बहाल किया गया।
यह दुर्घटना केवल एक प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हमारे तंत्र की तैयारी, समाज की संवेदनशीलता और जिम्मेदार संस्थाओं की कार्यशैली पर भी सवाल उठाती है। बाराबंकी में हुई यह त्रासदी एक बार फिर याद दिलाती है कि मानसून के मौसम में सड़क किनारे के पुराने पेड़ों की समय रहते छंटाई और जांच की जिम्मेदारी किसकी है? और क्या आम नागरिकों में आपदा के समय मानवता दिखाने की जागरूकता पर्याप्त है?